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इकलौता वारिश

Mumbai
Raheja palace

रहेजा पैलेस एक पोर्श इलाके में बना हुआ शानदार मेंशन था। पैलेस इतना बड़ा था कि वहां पर रहने वाले सर्वेंट्स को भी एक एक रूम, हॉल और किचेन का सेट मिलता था।

उस पैलेस का लिविंग रूम बहुत बड़ा था और वहां कुछ लोग बैठे बातें कर रहे थे। तभी एक शख्स वहां आते हुए बोला"भाईसाहब रीति का neet का एग्जाम क्लियर हो गया हैं! "

कैलाश रहेजा खुशी से बोले" मुबारक हो मयंक, रीति कुछ सालों में डॉक्टर बन जाएगी।

फिर थोड़ा निराश होते हुए बोले" एक हमारा बेटा हैं जो सीधे मुंह बात भी नहीं करता। 12 th में चला गया हैं लेकिन उसे किसी चीज का होश ही नहीं हैं। पढ़ाई में तो उसका दिल ही नहीं लगता। पता नहीं क्या करेगा। हम तो ये भी कहते हैं अगर नहीं पढ़ना ना तो ना पढ़े कम से कम कंपनी आना शुरू कर दे, जिससे आगे चलकर वो ये बिजनेस संभाल पाए। आखिर वो इस घर का इकलौता बेटा हैं।"

कैलाश रहेजा और मयंक रहेजा आपस में बात ही कर रहे थे कि सीमा जी कैलाश की की पत्नी आई और बोली"डिनर रेडी हो गया है, जल्दी चलिए मां जी आने वाली हैं।" उसकी बातें सुनकर सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ जातें हैं। सीमा और किरण खड़े हो कर सब को सर्व कर रही थी। सब का खाना सर्व हो गया लेकिन किसी ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। जैसे किसी का इंतजार किया जा रहा हो।

तभी वहां किसी के चलने की आवाज आई और एक औरत जो लगभग 65 साल की थी। उसने एक महंगी सिल्क की साड़ी पहनी हुई थी। उस औरत ने जो ज्वेलरी पहनी हुई थी वह बहुत सिंपल था लेकिन एक नजर में देख कर कोई भी पहचान जाएगा कि वह कितना महंगा है उसकी बारिक डिजाइन से। उसने अपने आप को इतना मेंटेन किया हुआ था कि वह अभी 45 से 50 साल की लग रही थी।

वो रौब के साथ डाइनिंग टेबल पर चलकर आई और हेड चेयर पर जाकर बैठ गई। और उन्होंने एक बाइट खाने का लिया जो उनके आगे परोसा हुआ था। उनके खाने के बाद सबने खाना स्टार्ट किया।

यह औरत थी सावित्री रहेजा जिनके अंदर अपने अमीरी का बहुत घमंड था। और होता भी क्यों नहीं Raheja industries जो पहले एक मामूली कंपनी थी और उनके पति उसे चलाते थे। शादी के बाद इन्होंने अपने बिजनेस स्केल से उसे कंपनी को इंडिया के टॉप 50 कंपनी में ला दिया था। इनके लिए उनके बच्चे सिर्फ उनके बच्चे परिवार को आगे बढ़ाने और रहेजा परिवार किसने स्वागत में वृद्धि करने का जरिया था।

और उनकी सबसे बड़ी खूबी या कह सकते हैं, इन्हें अच्छा लगता है सबको अपने मुट्ठी में बांध के रखना घर में रहने वाले सभी लोगों के लिए रूल और नियम जो खुद तय करती हैं। इस घर का पत्ता भी बिना इनके मर्जी का नहीं मिलता शिवाय एक शख्स के वह था उनका पोता अद्वैत रहेजा।

और उनके उसूलों और अगला वारिश बनने केक क्राइटेरिया में उनके बड़े बेटे कैलाश रहेजा खड़े उतरे।

और अब उनके परिवार और नाम खानदान को आगे बढ़ाने के लिए उनके नजर में सिर्फ एक शख्स था अद्वैव रहेजा!

अद्वैव रहेजा अभी 12th standard में था। लेकिन था वह बिल्कुल अपने मनमर्जी का उसे बंदीशे से बिल्कुल पसंद नहीं थी।

उसका जब जो मन करता वह वही करता था। भले उसका खुद का बाप कैलाश उसे नकारा समझता था जो दिन भर वीडियो गेम्स, कार रेसिंग, अलग-अलग तरीके के गेम्स और बॉक्सिंग करता रहता था और इसके बाद पूरे दिन अपने रूम में बंद होकर सोते रहना। और पढ़ाई लिखाई में उसका कोई मन नहीं लगता था।

लेकिन सावित्री रहेजा उसके दिमाग को अच्छे से जानती थी। आखिर वह ऐसे ही इतनी बड़ी बिजनेस में नहीं थी अपने टाइम पर। लोगों को पढ़ना जानती थी वो!

और यही कारण था कि वह अद्वैव को अपने मुट्ठी में करना चाहती थी। क्योंकि अगर वह उसे अपने मुट्ठी में कर लेती है तो रहेजा इंडस्ट्रीज को 10 top business के अंदर आने में समय नहीं लगता।

"अद्वैव उठो" एक लड़के ने तेज आवाज में कहा।

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Shadowborne

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