
दुआ अपने सामने खड़े ध्वस्त को देख रही थी जो धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ रहा था। ये देख उसका दिल किसी रोलर कोस्टर की तरह भाग रहा था। वो उस शख्स के सामने नेक्ड खड़ी भीग रही थी। ध्वस्त जैसे जैसे उसकी ओर कदम बढ़ा रहा था, दुआ वैसे वैसे पीछे होती जा रही थी।
लेकिन अचानक उसका पैर पिछला और वो गिरने को हुई और डर से उसने अपनी आँखें बंद कर ली लेकिन कुछ पल तक जब उसे चोट का अहसास नहीं हुआ तो उसने अपनी आँखें धीरे से खोली और उसकी आँखें ध्वस्त के आंखों से जा मिली।





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