
वीर राठौर… नाम ही काफी था लोगों के पसीने छुड़ाने के लिए।
लेकिन आज… कुछ था, जो उसके दिल की धड़कनों को तेज़ कर रहा था। वो धीरे-धीरे अपने आलीशान विला की गलियों को पार करता हुआ सर्वेंट्स क्वार्टर की ओर बढ़ रहा था। आमतौर पर उसकी चाल में एक ठहराव, एक रुतबा होता था — मगर आज उसके कदम धीमे थे… कुछ भारी से, कुछ उलझे हुए। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। रात का समय था, बस हल्की-हल्की हवा चल रही थी, जो पर्दों को सरसराने दे रही थी।

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