
किचेन की खिड़की से हल्की सी धूप गिर रही थी, और एक लड़की उस रौशनी में खड़ी मुस्कुरा रही थी। उसकी आँखों में एक बच्चे जैसी चमक थी — जैसे कोई जो दुनिया से सिर्फ सच्चाई और प्यार चाहता हो। वो अपनी बगल में खड़ी मेड से बात कर रही थी। "मैंने सब कर लिया," उसने मुस्कुराकर कहा, "अब डैडी मुझसे नाराज़ नहीं होंगे... ना?"
मेड उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई, जैसे वो जानती थी कि इस मुस्कुराहट के पीछे कितना दर्द हैं, वो सीढ़ियाँ चढ़ते हुए धीरे-धीरे अपने कमरे की ओर बढ़ती है। पर तभी... एक धीमी, अजीब सी आवाज़ उसे रुकने पर मजबूर कर देती है।आवाज़... परिचित थी लेकिन कुछ अलग।




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